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Farz Aur Kaanoon (1982)

  • Release Date1982
  • GenreAction, Drama
  • FormatColor
  • LanguageHindi
  • Run Time157 mins
  • Length4607.24
  • Number of Reels17
  • Gauge35mm
  • Censor RatingU
  • Censor Certificate Number84572
  • Certificate Date27/07/1982
  • Shooting LocationPrasad AVM & Vauhini
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फ़र्ज़ को निभाना और क़ानून की रक्षा करना - यही इन्स्पेक्टर रंजितकुमार की ज़िन्दगी - और यही उसकी ज़िन्दगी का धर्म था.

रंजित कुमार और भारती की जोड़ी आज के दौर की राम और सीता की जोड़ी थी. दोनों की खुशी की इम्तहा न रही जब भारती पहला बच्चा जनने के लिए अस्पताल पहुँची. लेकिन यह खुशी जल्द ही ग़म में बदल गयी क्योंकि भारती के बाप ने रंजीत और भारती को यह बताया कि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ.

हालात ने फिर करवट ली. और एक ही साल के अंदर भारती ने एक और बच्चे - रवि को जनम दिया.

रंजीत और भारती पहले बच्चे का ग़म भूल कर रवि को एक शरीफ़ और बड़ा इन्सान बनाने में मग्न हो गये. लेकिन रवि शुरू से ही बुरी सोहबतों में पड़ गया.

छोटी सी उम्र में सिगरेट पीना - जुआ खेलना और चोरी करना - और इन आदतों की वजह से रवि बचपन में ही बच्चों की शिक्षालय में पहुँच गया. रंजीत कुमार ने पुलिस इन्स्पेक्टर होते हुए रवि का पता तो चला लिया लेकिन - यह राज भारती से छुपाये रखा. वह बेचारी अपने बेटे के ग़म में रोती रही - लेकिन रंजीत ने ममता का साया रवि पर इसीलिये नहीं पड़ने दिया कि शायद रवि बड़ा होकर अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पा लें.

रवि जब शिक्षालय में बड़ा होकर वापस माँ-बाप के घर आया तो उसने अपने बाप रंजीतकुमार को ही अपनी मुसीबतों का क़सूरवार ठहराया. एक तरफ़ रंजीत अपने देश के खिलाफ़ काले कारनामे करने वाले गिरोह को मिटाने में लगा हुआ था और दूसरी तरफ़ रवि उस गिरोह के साथ मिल कर रंजीतकुमार की कोशिशों में रूकावट पैदा करता रहा.

हालांकि भारती को रवि बहुत प्यारा था लेकिन रवि को गै़र कानूनी रास्ता प्यारा था और रंजीतकुमार को फ़र्ज और क़ानून प्यारा था। सबके मन जुदा थे इसलिए सब एक छत के नीचे कैसे रह सकते थे. रवि अपना घर छोड़ कर चला गया. बेटे की जुदाई में भारती को लकवा हो गया.

रंजीतकुमार का पहला बच्चा रामू जिसे भारती के बाप ने इस बहम से कि भारती का सुहाग न उजड़ जाय - एक नौकरानी गंगा के हवाले कर दिया था, वह अब गाँव में जवान हो चुका था.

रामू शहर लौटा - मेजर गोपाल की लड़की पूनम को दो बार गुंडों से बचाया और मेजर गोपाल की वजह से ही रामू की मुलाक़ात रंजीत और भारती से भी हो गयी.

भारती अपने बेटे की जुदाई के ग़म में निढ़ाल हो चुकी थी. आखिरी वक़्त में गंगा ने उस पर यह राज़ जाहिर कर दिया कि रामू भी उसी का बेटा है. भारती खुश तो हो गयी लेकिन उसका वक़्त पूरा हो चुका था - उसने मरने से पहले रामू से यह वचन लिया कि उसके छोटे भाई रवि और बाप के दरमियान जो नफ़रत की दीवार है - उसे गिरा दे.

रामू ने माँ को दिया हुआ वचन कैसे पूरा किया?

रवि को बदमाशों के चंगुल से कैसे अलग किया? अपने बाप रंजीतकुमार के साथ अपने छोटे भाई रवि का मिलाप कैसे करवाया? यह रोजा पिक्चर्स की नई फिल्म "फ़र्ज़ और क़ानून" में देखिये.

(From the official press booklet)